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मसीही सेवकाई

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    प्रभु के सेवक का कर्तव्य

    सबसे अच्छी मद्द एक प्रचारक की अपने सदस्यों के लिये केवल उपदेश सुनाना ही नहीं है, बल्कि उन्हें भी कार्य योजना में षामिल करना है। उनमें से हर एक को कोई न कोई काम जरूर दे, जो वे दूसरों के लिये कर सकें। सभी को यह समझने में मद्द करें कि प्रभु का अनुग्रह सभी पर हुआ है और सभी उसके काम करने के लिये ठहराये गये हैं। इन सभी को काम करना सिखायें, विशेषकर उन लोगों को जो अभी विश्वास में नये हैं, वे भी प्रभु के काम को पूरे मन से करें। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:82) ChsHin 92.3

    प्रचारक, सच्चाई का प्रचार करते है कि उनका व्यक्तिगत परिश्रम उन लोगों को प्रभु के करीब ला सके जो उसे नहीं जानते, हर व्यक्ति के अपने स्वयं के प्रयास को हर संभव प्रोत्साहन दें ताकि लोगों में काम के प्रति उत्साह व जोश जाग्रत हो। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:124)ChsHin 92.4

    हर प्रचारक को कलीसिया के सदस्यों को सिखाना कि वे आध यात्मिकता में बढ़ें। उन्हें वह क्रूस उठा कर चलना है जो प्रभु ने उन पर डाला है। वह बोझ है, आत्माओं को सच्चाई की ओर लाना। जो अपनी जिम्मेदारियाँ नहीं निभा रहे हैं, उनसे मिलना प्रार्थना करना तथा उनके लिये परिश्रम करना। लोगों को केवल प्रचारक पर निर्भर होना नहीं सिखाया जाये। बल्कि उन्हें उनके दिये गण के अनसार लोगों को सच्चाई बताना, सिखाना व सच्चाई पर चलना सिखाना चाहिये। ऐसा करने समय स्वर्गदूत उनकी सहायता करेंगे। वे स्वयं अनुभव करेंगे, जिससे उनका विश्वास बढ़ेगा तथा वे प्रभु में और अधिक मजबूत होगे। प्रभु को पकड़े रहेंगे। (गॉस्पल वर्कर्स- 200) ChsHin 93.1

    उन स्थानों पर जहां पहले से ही लोगों में विश्वास है वहां पर प्रभु के दास को अविश्वासियों के लिये काम करने के बदले उन विश्वासी सदस्यों को प्रशिक्षित करना चाहिये ताकि उनसे अपेक्षित सहयोग मिल सके। प्रभु के सेवक को उन्हें व्यक्तिगत रूप से उनमें अदभुत अनुभव अपने आप पाने के लिये जोश उत्पन्न करना चाहिये ताकि वे दूसरो के लिये काम करें। जब वे अपनी प्रार्थनाओं और प्रचार करने के द्वारा प्रभु के दास को आगे बढ़ायेंगे तब उसके प्रयास अधिक सफल होंगे। (गॉस्पल वर्कर्स- 196)ChsHin 93.2

    काफी अर्थों में एक पादरी का स्थान मजदूरों के संगठन के अगुवे अथवा एक जहाज के क्र मेम्बर्स के कप्तान की तरह होता है। उनसे ये उम्मीद की जाती है कि जो काम वे अपने अधीन लोगों को सौंपते हैं वे काम को परी सावधानी से अच्छी तरह करते हैं या नहीं ? उन्हें केवल आकस्मिक दर्घटना के समय ही जवाब तलब किया जा सकता है। एक बार एक मिल के मालिक ने अपने मिल के सुपरीन्टेन्डेन्ट को एक चक्र-पिट को मरम्मत करते हुये पाया, जबकि ठीक उसके सामने छ: कामगार हाथ बाँधे हुये खड़े उसे काम करते हुये देख रहे थे। उस मिल के मालिक ने सारी बातों का पता लगाने के बाद यह सोचा की किसी के साथ अन्याय न हो. उसने अवलोकनकर्ता को अपने ऑफिस में बुलाया और उसे उसकी पूरी मजदूरी देते हुये, उसे नौकरी से निकाल दिया। वह अधिकारी आष्चर्य चकित हो गया और नौकरी से निकाले जाने का कारण पूछने लगा, उसके मालिक ने उससे कहा, ” मैंने तुम्हें इन छ: कामगारों से काम करवाने के लिये काम पर रखा था, तुम्हें स्वयं काम करने के बदले किसी एक से यह काम करवा लेना चाहिये था। यह एक ही व्यक्ति का काम था, बाकी छ: लोग बेकार खड़े थे, मैं इस तरह तुम्हें इस मिल में काम करने पर नहीं रख सकता, बाकी कामगारों को ये सिखाने के लिये कि खाली कैसे रहा जा सकता है।ChsHin 93.3

    यह घटना अन्य मामलों में देखी भी जा सकती है, और नहीं भी किन्तु कई पादरी ये जानने में या तो असफल होते हैं, या कोशिश ही नहीं करते कि कलीसिया के विभिन्न विभागों के कामों को सदस्यों द्वारा पूरी रीति से सहयोग प्राप्त कर कार्य पूरा करवाना चाहिये, यदि पादरी अधिक ध्यान अपनी भेड़ों की रखवाली के साथ उन्हें सक्रिय रूप से काम में लगाने पर दे, तो वे कहीं ज्यादा अच्छा काम कर सकेंगें, उनके पास अधिक समय होगा, बाइबल अध्ययन के लिये धार्मिक सम्मेलन के लिये और साथ ही ये बातें व काम उन्हें अन्य मनमुटाव के कारणों से दूर रखने में भी मद्द करेंगे। (गॉस्पल वर्कर्स- 197, 198)ChsHin 94.1

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