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कलीसिया के लिए परामर्श

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    भावी पति के गुण

    विवाह सूत्र में बाँधने के पूर्व,प्रत्येक स्त्री को जांचना चाहिए कि जिसके साथ वह अपना भविष्य जोड़ रही है वह योग्य है.उसका अतीत कालीन इतिहास कैसा है? क्या उसका जीवन पवित्र है? क्या जो प्रेम प्रदर्शन वह कर रहा है वह श्रेष्ठ हैं,उच्च कोटि का है अथवा केवल आवेगमन अनुराग है?क्या उसके चरित्र में ऐसे लक्षण पाए जाते हैं जिनसे उसका जीवन सुखमय रहेगा? क्या उसके स्नेह में उसे शन्ति और आनन्द प्राप्त हो सकेगा? क्या उसके व्यक्तितत्व की स्वतंत्रता की सुरक्षा रहेगी अथवा उसे अपने विवेक ऊपर अपने मुक्तिदाता के सर्वश्रेष्ठ अधिकार का वह आदर कर सकेगी? क्या शरीर, आत्मा,विचार और उददेश्य,पवित्र और शुद्धरुप में सुरक्षित रहेंगे?प्रत्येक स्त्री के लिए जो विवाह करने वाली है यह प्रश्न महत्वपूर्ण हैं एवं उसका कुशल इन पर निर्भर है.ककेप 172.4

    शान्तमय हर्ष रंजित मिलन की ओर अग्रसर होने वाली प्रत्येक स्त्री यदि चाहे कि उसका भावी जीवन दु:ख विहीन एवं चिन्ता रहित हो तो इन प्रश्नों पर अवश्य विचार करे.क्या मेरे प्रेमी की माता जीवित है? उसका चरित्र कैसा है?क्या मेरा पति अपनी माता के प्रति अपने उत्तरदायित्व से परिचित है?क्या माता के आनन्द एवं इच्छा पूर्ति में उसकी रुचि है? यदि वह अपनी माता का आदर नहीं करता तो क्या वह अपनी पत्नी से प्रेम आदर एवं दयालुता व्यवहार करेगा? विवाह को कौतुक समाप्त होने पर भी क्या वह मुझ पर अपना प्रेम बनाए रहेगा? जब मुझसे कोई भूल हो जाए तो क्या वह धौरजवन्त रहेगा अथवा नुक्ताचीनी करके अपना शासन जमाएगा? सत्य प्रेम कई भूलों की उपेक्षा करेगा.प्रेम उन पर अपनी दृष्टि कदापि न डालेगा.ककेप 172.5

    एक तरुण स्त्री को जीवन-साथी के रुप में उसी को स्वीकार करना चाहिए जो पवित्र वीरतापूर्ण चरित्र की विशेषताओं को धारण करता हो;वह जो अद्यमी,उत्साही,निष्कष्ट हो,वह जो परमेश्वर से डरता और प्रेम करता हो.ककेप 173.1

    अपमान करने वालों को छोड़ दीजिए.आलस्य प्रेमियों का परित्याग कीजिए.उन को भी छोड़ दीजिए जो नि:सार बातों का ताना मारने वाले हों.जो कुलषित भाषा का प्रयोग करते हों या जो मद्य के एक ही प्याल के अभ्यस्त हैं उन से संगीत की लालसा न कीजिए. ऐसे जन के प्रस्तावों पर कान न धरिए जो ईश्वर के प्रति अपने उत्तरदायित्व से अनभिज्ञ हों.पवित्र सत्य जो आत्मा को शुद्ध करता हो आप को अनेकों प्रसन्न करने वाले परिचितों से जिन्हें आप जानते हैं, जो न परमेश्वर का भय मानते न उससे प्रेम करते हैं अथवा जो सच्ची पवित्रता के सिद्धान्तों से पूर्णत:अनभिज्ञ हैं,अपना सम्बन्ध विच्छेद करने का साहस देगा.हम एक मित्र की दुर्बलताओं और अज्ञानता का सहन कर लें तो कर लें पर उसके अधर्म को हम न सह सकेंगे.ककेप 173.2