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कलीसिया के लिए परामर्श

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    मसीह और शैतान के बीच के महान् संघर्ष का दर्शन

    सन् 1848 के मध्य मार्च एक इतवार की संध्या की बात है कि अमरीका के एक पूर्वी भाग का एक देहाती स्कूल ठसाठस भरा हुआ था, क्योंकि लोग एक सभा के लिए एकत्र हुये थे. एल्डर व्हाइट एक युवक की मृत्यु पर अन्तेष्यिक्रिया सम्बन्धी उपदेश दे रहे थे. जब वे उपदेश समाप्त कर चुके तो मिसिज ई. जी. व्हाइट के मन में यह विचार प्रबल हुआ कि उन्हें शोकातुरों की सान्तवना के हेतु कुछ शब्द कहना यथायोग्य होंगे.अतएव वे खड़ी होकर दो एक मिनट तक बोलकर रुक गई. लोग उनके मुख की ओर ताकने लगे कि उनके शब्दों को पकड़े. परन्तु वे चौंक पड़े जब उन्होंने उन्हें ” परमेश्वर की जय, परमेश्वर की जय’‘ के शब्द जोर से कहते सुना. मिसिज व्हाइट दर्शन देख रहीं थी.ककेप 8.4

    एल्डर व्हाइट ने लोगों की मिसिज व्हाइट को दिये गये दर्शनों के विषय में बताया. उन्होंने बताया कि उनकी धर्म पत्नी को सतरह वर्ष की अवस्था ही से दर्शन दिये गये थे. उन्होंने लोगों को बतलाया कि यधपि उनकी ( मिसिज व्हाइट ) आँखें खुली थीं और ऐसा लगता था कि वह कुछ दूरी पर किसी वस्तु को ध्यान से देख रही थीं पर वह अपने वातावरण से निपट अनभिज्ञ थीं और जानती न थीं कि उनके इर्दगिर्द क्या कुछ हो रहा है. ( एल्डर व्हाइटने )गिनती 24: 4और 16 वे पद की ओर संकेत किया ,” ईश्वर के वचनों के सुनने वाला और परमे प्रधान के ज्ञान को जानने वाला जो दण्डवत में पड़ा हुआ खुली हुई आंखों से सर्व-शक्तिमान का दर्शन पाता है.’‘ ककेप 8.5

    उन्होंने यह भी बतलाया कि जब वह ( मिसिज व्हाइट ) दर्शन देखने लगती है तो सांस नहीं लेती और दानिय्येल 10:17 के दर्शन का अनुभव पढ़कर सुनाया, उसने कहा ‘‘ इस से मेरा बल जाता रहा और मेरी श्री हत हो गई.’‘ तब एल्डर व्हाइट ने लोगों को दावत दी कि जिसका जी चाहे मिसिज़ व्हाइट की दर्शन में होते समय परीक्षा करे. इस प्रकार की परीक्षा के लिए उन्होंने सब की अनुमति दी और इच्छा प्रकट की कि कोई डाक्टर आकर उनकी परीक्षा करे. ककेप 8.6

    जब लोग निकट आये तो उन्होंने मालूम किया कि मिसिज़ व्हाइट सांस तो नहीं ले रहीं हैं परन्तु ह्दय नियमानुसार धड़क रहा है और उनके गालों को कान्ति में कोई परिवर्तन नहीं हैं, एक दर्पण उनके मुख पर लगाया गया पर उस पर भाप का कोई चिन्ह नहीं आया. फिर वे एक मोमबत्ती लाये और उनकी नाक और मुँह के पास रखा, परन्तु ज्वाला सीधी रही, जरा भी टेढ़ी न हुई. तब लोग जान गये कि वे सांस नहीं ले रही थीं, जब वह कमरे में घूमती थी, अपने हाथों को शिष्टता के साथ घूमाती थी और दर्शन की बातों को रुक कर बतलाती जाती थी. दानिय्येल की तरह पहले तो उनका प्राकृतिक बल जाता रहा परन्तु बाद में उनको अलौकिक शक्ति दी गई. देखिए दानिय्येल 10:7,8,18,19.ककेप 8.7

    मिसिज व्हाइट दो घण्टे तक दर्शन देखती रहीं. दो घण्टे तक उन्होंने एक बार भी साँस न ली. फिर दर्शन की समाप्ति पर उन्होंने गहरी साँस ली और एक मिनिट रुक कर फिर दूसरी साँस ली; शीघ्र ही स्वाभाविक साँस शुरु हो गई. और वह अपने वातावरण को पहचानने लगी और सचेत होकर सब कुछ जानने लगी.ककेप 9.1

    मिसिज व्हाइट को अकसर दर्शन के समय मिसिज़ मार्था आमेडन देखा करती थी, जो निम्न में वर्णन करती है :ककेप 9.2

    ” दर्शन में उनकी आँखें खुली रहती थीं. वह साँस तो नहीं लेती थीं परन्तु कन्धो और भुजाओं की शोभायमान गति दर्शनानुसार होती थी. सम्भव नहीं था कि कोई उनके हाथों तथा भुजाओं को हिला सके. अकसर वह एक शब्द करके बोलती थी पर कभी कभी वाक्य भी कहती थी.’’जिससे पता लगता था कि वह स्वर्ग में या पृथ्वी पर किस प्रकार का दृश्य देख रही है.ककेप 9.3

    ” दर्शन में उनका प्रथम शब्द होता था ‘‘ महिमा जो पहिले तो निकट सुनाई देता था फिर उसकी ध्वनि दूर होती जाती थी. कभी-कभी यह बात दुहराई जाती थी....ककेप 9.4

    ” जो लोग मौजूद थे उनमें कोई हलचल न मचती थी, न डरते थे. यह तो एक गम्भीर खामोशी का दृश्य था.....ककेप 9.5

    “जब दर्शन समाप्त हो चुकता था और स्वर्गीय ज्योति नजर से ओझल हो जाती थी तब मानों वह फिर पृथ्वी पर आ जाती थी. तब वह गहरी साँस लेकर कह उठती, ‘अन्धकार ‘ तद्पश्चात् वह निर्बल और लंगड़ी सी हो जाती थी.ककेप 9.6

    हमें उस पाठशाला के कमरे के दो घंटे के दर्शन की कहानी की ओर लौटना है. इस दर्शन के विषय में मिसिज व्हाइट ने बाद में स्वयं लिखा:ककेप 9.7

    ” मसीह और शैतान के बीच युगों के महान संघर्ष के विषय में दस वर्ष हुए जो दर्शन मैं ने देखा था उसका अधिकांश भाग फिर से दिखाया गया और मुझे उसे लिखने का आदेश दिया गया. दर्शन में उनको ऐसा लगा कि वह उन सारे दृश्यों को देख रही है जो उनके सामने से गुजर रहे थे. पहिले उन्हें प्रतीत हुआ कि वह स्वर्ग में है और उन्होंने लूसिफर का पाप तथा पतन देखा. तब उन्होंने इस जगत की उत्पति तथा हमारे पहिले माता-पिता को अदन की वाटिका में देखा. उन्होंने आदम और हव्वा को सर्प के प्रलोभनों में फंसने और बाग से निकलते देखा. शीघ्र ही बाइबल का इतिहास उनके आया. उन्होंने इस्राएल के प्राचीनों तथा नबियों का अनुभव देखा. फिर उन्होंने यीशु मसीह हमारे मुक्तिदाता का जीवन व मृत्यु देखा जहाँ वह हमारे महायाजक के रुप में उस समय से अब तक कार्य अपने प्राणों को जोखिम में डाल रहे थे. तब वह न्याय के दृश्यों तक लाई गईं जिसका आरंभ स्वर्ग में सन् 1844 में हुआ. फिर हमारे युग तक ला कर भविष्य का दर्शन दिया गया जहाँ उन्होंने मसीह का आगमन स्वर्ग के मेघों के साथ देखा. उन्होंने एक सहस्त्र वर्ष और नई पृथ्वी के दृश्य देखे.ककेप 9.8

    इस स्पष्ट प्रदर्शनों को अपने सामने रखकर मिसिज व्हाइट अपने घर को लौटी और जो कुछ उन्होंने देखा था तथा सुना था उसे लिखने को तैयार हुई. छ: महीनों के बाद पृष्ठों की एक छोटी सी पुस्तक छापे खाने से निकली जिसका नाम ‘’मसीह और उसके दूतों का शैतान और उसके दूतों से संघर्ष था.”ककेप 10.1

    इस छोटी सी पुस्तक को उत्साहपूर्वक ग्रहण किया गया, क्योंकि उसमें कलीसिया के अनुभव का बड़ी स्पष्ट से चित्रण किया गया था. और शैतान की युक्तियों तथा उनकी युक्तियों तथा उन तरीकों की पोल जिससे वह कलीसिया को और जगत को उस आखरी संघर्ष में धोखा देगा, खोल कर बताई गई है. एडवेनटिस्ट लोगों ने परमेश्वर की इस बात के लिए कितना उपकार माना कि उसने इस अन्तिम दिनों में नबुवत के आत्मा के द्वारा अपनी प्रतीज्ञा के अनुसार बात करता है. ककेप 10.2

    जिस बड़े वाद विवाद का वर्णन इस छोटी सी आध्यात्मिक वरदान ( स्पिरिच्युअल गिफ्ट्स) नामक पुस्तक में किया गया है, बाद को अल रायटिंग्ज नामक पुस्तक के उतरार्ध भाग में छपवाया गया है जो आज भी उसमें मौजूद है. ककेप 10.3

    परन्तु ज्यों-ज्यो कलीसिया बढ़ती गई और समय गुजरता गया अगले दर्शनों में महान वाद-विवाद की कहानी को विस्तृत रुप में प्रगट करता गया और मिसिज व्हाइट ने उसे सन् 1870 और 1884 ई. के बीच चार प्रतियों में दुबारा लिखा जिसको नबुवत को आत्मा ( स्पिरिट ऑफ प्रॉफेसी ) कहते हैं, महान वाद-विवाद की कहानी के महत्वपूर्ण भाग जो इन पुस्तकों से लिए गये हैं स्टोरी ऑफ दी रिडेमशन नामक पुस्तक में वर्णन किये गये हैं. यह ग्रंथ जो कई भाषाओं में छप चुका है. महान वाद-विवाद के इन दर्शनों में जो कुछ दिखलाया गया है, उसको कई जातियों के पास पहुँचाता है.मिसिज व्हाइट ने वादविवाद में कानफिलक्ट ऑफ एजेज के सिलसिले को पाँच प्रतियों में अर्थात पेट्सि एण्ड किंग्स, दी डिजायर ऑफ ऐजेज़ ऐक्टस ऑफ दी अपासल्स और ग्रेट कान्ट्रोवर्सी में उस सम्पूर्ण वाद-विवाद का सविस्तार वर्णन किया है.ककेप 10.4

    ये पुस्तकें जो उत्पत्ति से लेकर मसोही सम्बत एवं युगों के अन्त तक बाइबल के इतिहास के अनुकूल लिखी गई हैं, अधिक ज्योति तथा प्रोत्साहन दिलाती हैं. यही पुस्तकें सेवन्थ-डे एडवेनटिस्ट लोगों की ‘’ज्योति के सन्तान’ और दिन के सन्तान’ कहलाने में सहायता देती हैं. इसी अनुभव में इस आश्वासन की पूर्ती देखते हैं.’‘ककेप 10.5

    “इसी प्रकार से प्रभु यहोवा अपने दास भविष्यद्धक्ताओं पर अपना मर्म बिना प्रगट किये कुछ न करेगा.’‘ ( आमोस 3:7)ककेप 10.6

    प्रकाश किस प्रकार आया उसके विषय में इन पुस्तकों में वर्णन करने के महान वाद-विवाद की कहानी में शेष करते हुए मिसिज व्हाइट कहती है:ककेप 10.7

    “पवित्र आत्मा के प्रकाशन द्वारा सत्य और असत्य के बीच छिड़े चिरकालीन संघर्ष के इन पृष्ठों के लेखक पर प्रकट किये गये हैं. समय-समय पर मुझे जीवन के राजकुमार, हमारे.’‘ककेप 10.8

    मुक्तिदाता यीशु और असत्य के सरदार व पाप के उत्पादक परमेश्वर की व्यवस्था के प्रथम अपराधी शैतान के बीच युगों से चला आ रहा महान वाद-विवाद की कार्यवाही को देखने का अवसर मिला...ककेप 10.9

    “जब परमेश्वर के आत्मा ने मेरे मन में अपने वचन के महान सत्यों तथा भूत व भविष्य दोनों के दृश्यों को प्रकट किया तो मुझे आज्ञा हुई कि जो कुछ प्रदर्शित किया गया है उसको दूसरे पर प्रगट करुंगत युगों के इतिहास को दुहराऊँ, विशेषकर उसे ऐसा उपस्थित करें कि उससे भविष्य में शीघ्र होने वाले संघर्ष पर प्रकाश पड़े.’‘ककेप 11.1

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