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कलीसिया के लिए परामर्श

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    अध्याय 35 - कुटुंब में आत्मिक अभाव

    हम अपने परिवार का उद्धार अनुभव कर सकते हैं.हमें उसके निमित्त प्रयत्नशील होकर निरंतर परमेश्वर पर विश्वास और भरोसा करके व्यावहारिक रुप में जीवन व्यतीत करना होगा.परमेश्वर के वचन द्वारा लगाया हुआ प्रतिबंध हमारे लिए हितकर होगा.इससे हमारे कुटुंब एवं आस-पास आनन्द का विस्तार होगा. इसके द्वारा हमारी रुचि शोधित होगी,हमारा न्याय पवित्र होगा जिससे मन में शान्ति उत्पन्न सेवा करने हारे दूतों का वास होगा, जो हमारे एवं विकासमय जीवन का सुसन्देश आनन्द के साथ स्वर्ग की ओर ले जायेंगे.लिखनेहारा दूत हमारे कार्यों का सुन्दर रेकार्ड प्रस्तुत करेगा.ककेप 209.1

    मसीह के आत्मा का प्रभाव हमारे जीवन में बना रहेगा.यदि पुरुष स्त्री स्वर्गीय प्रेम एवं सत्य से प्रभावित होने की अभिलाषा से अपने हृदय खोलें तो ये धारणाएं उनके जीवन से ऐसे बह निकलेंगे जैसे मरुभूमि में एक झरना जिसके द्वारा सूखी एवं ऊसर भूमि में संचार हो रहा हो.ककेप 209.2

    गृह धर्म-जीवन का अभाव, बच्चों की शिक्षा की अवहेलना से परमेश्वर अति अप्रसन्न होता है.यदि आप के बच्चों में से एक डूबने के भय से होकर नदी में लहरों से लड़ रहा हो तो आप के मन में कैसी बेचैनी होगी. आप कितना प्रयत्न करेंगे,कितनी प्रार्थना करेंगे, कैसे जोश का प्रदर्शन करेंगे कि मनुष्य का जीवन बच जावे.यहाँ आप के बालक मसीह से बाहर रह कर अपने आत्मिक विनाश को प्राप्त कर रहे हैं.शायद वे कठोर और अशिष्ट होकर “ऐडवेनटिस्ट’‘ नाम पर कलंक लगा रहे हैं. वे इस संसार में ईश्वर रहित और आशाहीन होकर नाश हो रहे हैं और आप निश्चित बैठे हैं.ककेप 209.3

    शैतान लोगों को परमेश्वर से भटकारने के लिए बहुत प्रयत्नशील रहता है.जब धार्मिक जीवन सांसारिक व्यापार की चिंताओं में डूब जाता है, और लोगों के मन काम धंदे में ऐसे फंस जाते हैं कि वे बाइबल पढ़ना,एकांत में प्रार्थना करना, भौर और संध्या को परमेश्वर की वेदी के समक्ष प्रार्थना रुपी बलिदान चढ़ाने में लापरवाह रहते हैं तो शैतान अपने उद्देश्यों की सफलता का अनुभव करता है.कितने हैं जो इस भरमानेहारों के सरदार की दुष्टता और युक्तियों से अनजान हैं.ककेप 209.4