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कलीसिया के लिए परामर्श

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    किसके सामने पापों को मान लेना चाहिए

    जो अपने पापों के लिए बहाना करते अथवा उन्हें छिपाने का प्रयत्न करते हैं और उन्हें स्वर्ग की पुस्तकों में बिना इकरार किये और क्षमा मांगे रहने देते हैं वे शैतान से परास्त किये जायेंगे.जितना ऊंचा उनका व्यवसाय हो,जितना आदरणीय उनका पद हो,उतना ही अधिक दुख:दाई उनकी चालढाल परमेश्वर के सामने है और उतना ही निश्चित महान शत्रु की विजय होती है.जो परमेश्वर के लिए तैयारी करने में देरी करते हैं वे संकट के समय उसे प्राप्त नहीं कर सकते अथवा किसी और समय पर नहीं पा सकते,सब ऐसों का मामला आशाहीन है.ककेप 121.1

    आप से यह तलब नहीं किया जाता कि आप उनके सामने अपनी गलती या अपराध का इकरार करें जो उससे अनभिज्ञ हैं. आप का कर्तव्य यह नहीं है कि इकरार को प्रकाशित करें जिससे विधार्मियों को जय प्राप्त करने का मौका हो परन्तु उनके सामने इकरार करें जिनके सामने करना उचित है जो आप की गलती से लाभ नहीं उठाएंगे.ककेप 121.2

    परमेश्वर के वचन के अनुसार इकरार करिए तो वे आप के लिए प्रार्थना करेंगे और परमेश्वर आप के इकरार को स्वीकार करेगा और चंगा करेगा.अपनी आत्मा की खातिर विनती को ग्रहण कीजिए ताकि अनंतकाल के लिए सम्पूर्ण कार्य किया जावे.अभिमान को,घमंड को पृथक करके सीधा सच्चा कार्य कीजिए.फिर बाड़े में वापिस आइए.चरवाहा आपके स्वागत की बाट देख रहा है पश्चाताप करके प्रथम कार्य कौजिए, और फिर परमेश्वर की दया दृष्टि के अधीन आइये.ककेप 121.3

    मसीह आपका सृष्टिकर्ता है,वह आपके विनय इकरार से अनुचित लाभ न उठाएगा.यदि आप के अन्दर गुप्त पाप है तो उसका इकरार मसौह से कीजिए जो परमेश्वर और मनुष्य के बीच एक मात्र मध्यस्थ है. “यदि कोई पाप करे,तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात् धार्मिक यीशु मसीह.’’(1यूहन्ना 2:1)यदि आप ने परमेश्वर का निजी भाग दशांश तथा भेंट को रोकने का पाप किया है तो अपना अपराध परमेश्वर और मंडली के सामने स्वीकार कीजिए.और इस आज्ञा का पालन कीजिए:‘सारे दशमांश भण्डार में ले आओ.’’(मलाकी 3:10)ककेप 121.4

    परमेश्वर के लोगों को समझ-बूझ के साथ आगे बढ़ना चाहिए. जब तक परिचित इकरार न कर लिया जाय उनको संतोष न होना चाहिए कि दूसरे लोग अंधकार में हाथ पाँव पोट कर उनके लिए विजय प्राप्त करेंगे ऐसे आंनद का लाभ के समाप्त तक ही उठाया जा सकता है.परन्तु परमेश्वर की सेवा सिद्धान्त प्रेरित होनी चाहिए न कि भावना प्रेरित.अपने ही परिवार में प्रात: व साय विजय प्राप्त करनी चाहिए.आप के रोजाना का कार्य इससे आप को वंचित न रखे.प्रार्थना करने के लिए समय निकालिए और जब आप प्रार्थना करें तो विश्वास कीजिए कि परमेश्वर आप की प्रार्थना को सुनता है. आपको प्रार्थनाओं संग विश्वास मिश्रित होना चाहिए.हर समय शायद आप प्रार्थना का उत्तर तुरन्त न महसूस करें परन्तु वही समय है जब विश्वास की परीक्षा की जाती है.ककेप 121.5