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कलीसिया के लिए परामर्श

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    कृतज्ञता का दान कंगालों के लिए अलग रखना चाहिये

    प्रत्येक गिरजे में गरीबों के लिए कोष नियुक्त करना चाहिये.फिर हर एक सदस्य सप्ताह में अथवा महीने में एक बार जैसी सुविधा हो धन्यवाद की भेंट लावे. इस भेट द्वारा हम स्वास्थ्य, भोजन और सुखदाई वस्त्र के लिए अपनी कृतज्ञता प्रगट करते हैं और जिस प्रकार परमेश्वर ने हमें ये आशीषे दी हैं उसी अनुपात से हम दीन दुखियों और पीड़ितों के लिये दान निकाल के अलग रख दें. मैं अपने भाइयों का ध्यान विशेषकर इस ओर आकर्षित करना चाहती हूँ. कंगालों को स्मरण रखिये,अपने भोग विलास, सुख चैन को त्याग कर उनकी सहायता कीजिए जिनको केवल अधपेट भोजन तथा वस्त्र मिलता है. उनकी सहायता करने में आप उसके पवित्र जनों की शक्ल में यीशु की सहायता कर रहे हैं. वह पीड़ित मानव के संग अपने को शामिल करता है. जब तक आपकी कल्पित आवश्यकताओं की पूर्ति न हो जाय तब तक न ठहरिये.अपनी इच्छा पर भरोसा न कीजिए कि जब मन न चाहे तो रोक दें.नियमानुसार देते रहिये--- यदि आप परमेश्वर के स्वर्गीय आंकड़ो में अपना नाम देखना चाहते हैं. ककेप 80.5

    जो परमेश्वर को सच्चे मन से प्यार करते और धन सम्पत्ति रखते हैं उनको मुझे आज्ञा हुई है कि कहूं,अब आपके लिये मौका है कि अपने रुपये को परमेश्वर के काम सम्भालने में लगा दें.अब मौका है कि धम्र्माध्यक्षों के साथ नाश होने वाले लोगों को बचाने में उनके आत्मत्याग के प्रयत्नों में हाथ बटावे. जब आप उन लोगों को जिन्हें आपने बचाने में सहायता दी स्वर्गीय डेवढ़ियों में मिलोगे तो क्या आप को महिमापूर्ण प्रतिफल न मिलेगा? ककेप 81.1

    कोई दमड़ी का दान देने से अपना हाथ न रोके, और जिनके पास बहुत कुछ है आनंदित हों कि वे स्वर्ग में अपनी दौलत जमा कर सकते हैं जहां हानि का भय नहीं है. जो धन परमेश्वर के काम में लगाने से इन्कार करते हैं वह नष्ट हो जायगा. उन पर स्वर्गीय बैंक में कोई ब्याज नहीं लगेगा.ककेप 81.2

    परमेश्वर अब प्रत्येक मुहल्ले के सेवन्थ-डे ऐडवेनटिस्टों को पुकारता है कि अपने आपको समर्पण करो और जहां तक हो सकता है हालत के अनुसार उसके काम में मदद दो.दान तथा भेट देने में उदारता दिखलाने से उसकी इच्छा है कि वे उसकी आशीषों तथा उसकी करुणा के लिए कृतज्ञता प्रकट करें.ककेप 81.3

    प्रभु ने बार-बार मुझे दिखलाया कि संकट के समय में शारीरिक आवश्यकताओं के लिए प्रबंध करना धर्म शास्त्र के विरुद्ध है.यदि पवित्र जनों ने संकट के समय आपने पास या खेत में भोजन रखा हो जब तलवार,अन्नकाल तथा मरी देश में आये तो कठोर हाथों द्वारा वह सब उनसे छीन लिया और परदेशी उनके खेतों की फसल काटेंगे.वह समय हमारा पूर्णतः परमेश्वर पर भरोसा रखने का होगा और वही हमें सम्भालेगा. मैंने देखा कि उस समय हमें रोटी और पानी अवश्य पहुंचाया जायगा और हमें कमी न होगी न भूख सतायेगी क्योंकि परमेश्वर हमारे लिये जंगल ही में मेज़ बिछाने के योग्य है.यदि आवश्यकता हो तो वह हमें खिलाने के लिये कौवों को भेजेगा जिस प्रकार उसने एलियाह को खिलाया था अथवा स्वर्ग से मान बरसायेगा जिस प्रकार उसने इस्राएलियों के लिए किया था. ककेप 81.4

    संकट के समय घर और भूमि पवित्र जनों के लिए लाभदायक न होंगे क्योंकि उस समय उनको क्रुद्व भीड़ के सामने से भागना पड़ेगा. उस समय उनकी जायदादें बेची नहीं जा सकती कि वर्तमान सत्य को फैला सकें. मुझे दिखाया गया कि परमेश्वर की इच्छा है पवित्रजनों को संकट के समय से पहिले प्रत्येक उलझन से मुक्त होना चाहिये और परमेश्वर के साथ त्याग द्वारा वाचा बांधनी चाहिये.यदि उनकी धनसंम्पत्ति वेदी पर है और उत्साहपूर्वक परमेश्वर से प्रार्थना करें कि क्या करें तो वह उनको सिखलायेगा कि उन चीजों को कब बेच डालना चाहिये.तभी वे संकट के समय स्वतंत्र हो सकेंगे और उनको कोई भार नहीं रोकेगा.ककेप 81.5